जन अधिकार पार्टी की स्थापना माननीय बाबू सिंह कुशवाहा ( पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ) ने 9 दिसंबर 2016 में किया था। पार्टी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा तंत्र को मजबूत बनाना था जिससे सभी को एक समान शिक्षा के अवसर मिल सके चाहे वह गरीब का बच्चा हो या मजदूर और किसान का हो यहाँ तक किसी सम्पन्न घर का ही क्यों न हो फिर भी सभी को एक समान शिक्षा एवं आगे बढ़ने के समान अवसर मिले।
जनसंख्या के अनुपात में सभी वर्गों को देश के सभी संसाधनों में हिस्सेदारी दिलाना जिनमें शिक्षा, प्रशासन, आर्थिक, न्यायपालिका, मीडिया, विधायिका, निजी क्षेत्र एवं ठेकेदारी शामिल है। इन सभी विषयों को ध्यान में रखते हुए जन अधिकार पार्टी की स्थापना हुई।
जन अधिकार पार्टी की विचारधारा समाज के सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार समान अधिकार दिलाना है. पार्टी का उद्देश्य सभी वंचित, शोषित, मजदूर, किसान, गरीब एवं महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उनके अधिकारों को दिलाना ही एकमात्र लक्ष्य है। जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करवाने एवं आबादी के अनुपात में सभी वर्गों को देश के सभी संसाधनों में हिस्सेदारी दिलाना पार्टी का मुख्य उद्देश्य है।
स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाना मुख्य उद्देश्य में शामिल है. जनसंख्या के मानक के अनुपात में ग्रामीण एवं छोटे शहरी क्षेत्रों में अच्छी सुविधा युक्त अस्पतालों का निर्माण कराना और योग्य एवं प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। किसानों के सशक्तिकरण के लिए फसलों के लाभकारी मूल्य दिलाना, विभिन्न सहकारी संस्थाओं से बिचौलियों के बजाए सीधे आम किसानों को जोड़ना, महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी सम्मानजनक रूप से बढ़ाना ताकि महिलाएं स्वयं के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकें और अपने संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए खुद नेतृत्व हाथ में लेकर सत्ता में हिस्सेदारी ले सकें।
JAP: जन अधिकार पार्टी की विचारधारा समाज के सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार सभी को समान अधिकार, सभी वंचित, शोषित, मजदूर, किसान, गरीब एवं महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उनके अधिकारों को दिलाना एकमात्र लक्ष्य है। जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करवाने एवं आबादी के अनुपात में सभी वर्गों को देश के सभी संसाधनों में हिस्सेदारी दिलाना अर्थात शिक्षा प्रशासन आर्थिक न्यायपालिका मीडिया विधायिका निजी क्षेत्रों एवं ठेकेदारी जैसे सभी क्षेत्रों में सभी वर्गों को समानुपात में हिस्सेदारी दिलाना।
एक समान शिक्षा पद्धति लागू करवाना (एक पाठ्यक्रम हो, एक जैसी किताबें हो) और शिक्षा बजट जीडीपी का कम से कम 6 से 7% तक बढ़ाना ताकि सभी शोषित वंचित एवं कमजोर तबकों के बच्चों एवं युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके जिससे युवाओं को सरकारी, निजी क्षेत्रों एवं अपने व्यवसाय के लिए सशक्त कर सके और बेरोजगारी में भी भारी कमी आ सके।
स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाना जनसंख्या के मानक के अनुपात में ग्रामीण एवं छोटे शहरी क्षेत्रों में अच्छी सुविधा युक्त अस्पतालों का निर्माण और योग्य/प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
किसानों के सशक्तिकरण के लिए फसलों के लाभकारी मूल्य दिलाना, विभिन्न सहकारी संस्थाओं से बिचौलियों के बजाए सीधे आम किसानों को जोड़ना।
महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी, सम्मानजनक रूप से बढ़ाना ताकि महिलाएं स्वयं के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकें और अपने संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए खुद नेतृत्व हाथ में लेकर सत्ता में हिस्सेदारी लें।
जन अधिकार पार्टी
बाबू सिंह कुशवाहा जी का जन्म 7 मई 1966 में बांदा जिले में हुआ उनके पिता स्वर्गीय भागवत प्रसाद जी एक साधारण किसान थे अपने आरंभिक जीवन काल में बाबू जी ने गरीब, मजदूर, किसानों की मदद किया करते थे और उनके बेहतर जीवन की दिशा में विचार किया करते थे | यह गुण उनको उनके पिता से प्राप्त हुआ आगे चलकर उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले, माता सावित्री बाई फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, भारत के लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा एवं रामस्वरूप वर्मा के बताए हुए रास्ते पर चलना शुरू कर दिया और अपना पूरा समय गरीब, कमजोर, पिछड़ों, अकलियत, महिलाओं और शोषित, वंचित वर्गों के उत्थान में लगा दिया |
अपने आरंभिक राजनैतिक जीवन में माननीय बाबू सिंह कुशवाहा जी दो बार कैबिनेट मंत्री के पद पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की जनता की सेवा की, उन्होंने अपने महापुरुषों द्वारा दिखाए गए रास्तों पर चलते हुए सन् 2016 में जन अधिकार पार्टी की स्थापना की और जन अधिकार पार्टी के द्वारा पिछड़ों, दलितों, गरीब, मजदूर, किसान और समाज में शोषित वंचित लोगों की उत्थान की दिशा में लग गए |
उनके इस मिशन से आज लाखों की जनसंख्या में लोगों ने जन अधिकार पार्टी का दामन थामा और अपने अधिकार के लिए माननीय बाबू सिंह कुशवाहा जी के साथ अपने पूर्वजों की कुर्बानी, संविधान निर्माताओं के द्वारा प्रदत्त अधिकारों के लिए भारत में संघर्ष कर रहे हैं